Film Festival organized at CIMAGE
सिमेज कॉलेज में मनाया गया फ़िल्म फेस्टिवल
कॉलेज में उल्लेखनीय उपस्थिति वाले छात्रों को दिखाई गई प्रेरणादायक फिल्में
‘12th फ़ेल’, ‘श्रीकांत’, ‘मिशन रानीगंज’ और ‘रॉकेट सिंह – सेल्समैन ऑफ़ द ईयर’ का हुआ प्रदर्शन
फ़िल्मों के बाद हुआ केस अनेलेसिस
सिमेज द्वारा छात्रों के लिए कॉलेज में दो दिवसीय फ़िल्म फेस्टिवल का आयोजन दिनांक 31 जुलाई तथा 1 अगस्त को किया गया | इस फ़िल्म फेस्टिवल में छात्रों को चार प्रेरणादायक फ़िल्में ‘12th फ़ेल’, ‘श्रीकांत’, ‘मिशन रानीगंज’ और ‘रॉकेट सिंह – सेल्समैन ऑफ़ द ईयर’ दिखाई गई | इस फ़िल्म को दिखाने के लिये पुरे कॉलेज से MBA. BBA, BCA, BSc-IT तथा B.Com.(P) छात्रों का चयन कॉलेज में उनकी क्लास में उपस्थिति, क्लास में छात्रों के प्रदर्शन तथा एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ में उनकी भागीदारी के आधार पर किया गया | फ़िल्म के दौरान छात्रों के लिए कोल्डड्रिंक, चिप्स तथा पोपकोर्न की भी व्यवस्था की गई थी, जिसका छात्रों ने भरपूर लुत्फ़ उठाया | फ़िल्म के समापन के पश्चात ऑडीटोरियम में ही एक विशेष सेशन आयोजित कर, केस स्टडी के माध्यम से इस हर फ़िल्म को डिसकस किया गया और उनके विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई, जिसके माध्यम से कई नई चीज़ें निकल कर आईं | छात्रों ने फ़िल्म के दौरान अपने नोट्स भी बनाये थे, जिनके बिन्दुओं को तथा अपने ऑब्जरवेशन को छात्रों ने प्रस्तुत किया | इस अवसर पर सिमेज समूह के निदेशक प्रो. नीरज अग्रवाल, निदेशिका मेघा अग्रवाल तथा डीन प्रो. नीरज पोद्दार भी मौजूद थे |
इस आयोजन के बारे में जानकारी देते हुए सिमेज के निदेशक प्रो. नीरज अग्रवाल ने बताया कि ‘सिमेज द्वारा आयोजित इस फ़िल्म फेयर में दिखाये जाने वाले फिल्मों का चयन इन फिल्मों की खूबियों की वजह से किया गया था | ये तीनों फ़िल्में सच्ची घटनाओं से प्रेरित हैं और इन फिल्मों से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है और ये फ़िल्में छात्रों के जीवन में प्रेरणास्रोत का काम कर सकती हैं | ‘12th फ़ेल’, ‘श्रीकांत’, ‘मिशन रानीगंज’ फिल्मों में नायक द्वारा ‘समस्या या हार’ को ‘समस्या या हार’ के रूप में नहीं लेकर एक ‘चुनौती’ के रूप में लिया गया है और तमाम बाधाओं के बावजूद नायक का खुद पर यह दृढ विश्वास कि ‘जीत संभव है’, ही उसे विशेष बनाता है | वह हार नहीं मानता - वह प्रयास करता है और अंत में सफलता उसे मिलती है | इसकी प्रकार हमें भी जीवन में खुद पर भरोसा रखना चाहिए, मुश्किल वक्त में भी सकारात्मक सोचना चाहिए | इन सभी फिल्मों में नायक के ‘जीतने का जज्बे’ और तमाम बाधाओं के बावजूद भी ‘अपने सपने को पूरा करने की कहानी’ बहुत प्रेरणादायक है और जीवन में असाधारण सफलता पाने के लिए ऐसे ही मजबूत संकल्प की जरुरत पड़ती है |
'मिशन रानीगंज' 34 साल पहले हुई एक सच्ची घटना पर आधारित है जब माइनिंग इंजीनियर जसवंत सिंह गिल ने 1989 में पश्चिम बंगाल में रानीगंज कोयले की खान में फंसे 65 मजदूरों को अति विषम परिस्थियों में बाहर निकालकर उनकी जान बचाई थी | उन्होंने वहां फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए एक अलग तरह का कैप्सूल बनाया था इसलिए उन्हें कैप्सूल मैंन के नाम से भी जाना जाता है | जबकि 12th फ़ेल एक छोटे से गांव में पैदा हुए मनोज कुमार शर्मा की कहानी है, जिन्होंने अपनी 12वीं की परीक्षा पास नहीं की थी, लेकिन उन्होंने अपने सपनों को नहीं छोड़ा और UPSC की परीक्षा पास करने के लिए कड़ी मेहनत की और अंत में IPS बनाने में सफल हुए | फिल्म उनकी इस यात्रा को दर्शाती है, जिसमें उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी | वहीँ फिल्म 'श्रीकांत', दृष्टिबाधित दिग्गज श्रीकांत बोला की प्रेरणादायक कहानी है | यह उनके दृढ़ता और सपनों की कहानी है । तमाम बाधाओं और चुनौतियों के बीच, श्रीकांत बोला ने मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में जाकर पढ़ाई की और आगे चलकर श्रीकांत बोला ने बोलैंट इंडस्ट्रीज की स्थापना की | वहीँ ‘रॉकेट सिंह – सेल्समैन ऑफ़ द ईयर’ फ़िल्म, कॉलेज से काफी कम मार्क्स के साथ उतीर्ण छात्र की कहानी है, जिसने तमाम आलोचनाओं एवं अपने वरीय तथा सहकर्मियों के असहयोग के बावजूद अपने आपको साबित किया और बाद में सभी ने उसकी क्षमताओं को स्वीकार किया और हरप्रीत सिंह उर्फ रॉकेट सिंह बनता है ‘सेल्समैन ऑफ द इयर’ ।