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Admissions - 2024
सिमेज के छात्रों को INOX Patna में दिखाई गई प्रेरणादायक फ़िल्म | Chandu Champion
  • By Cimage
  • 27-Jun-2024
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सिमेज के छात्रों को INOX Patna में दिखाई गई प्रेरणादायक फ़िल्म | Chandu Champion

सिमेज के छात्रों को राजधानी पटना के INOX Patna में मोटीवेशनल फ़िल्म ‘चंदू चैंपियन’ दिखाई गई | इस फ़िल्म को दिखाने के लिये पुरे कॉलेज से  MBA. BBA, BCA, BSc-IT तथा  B-Com(P) छात्रों का चयन कॉलेज में उनकी क्लास में उपस्थिति, क्लास में छात्रों के प्रदर्शन तथा एक्स्ट्रा करिकलुलर एक्टिविटीज़ में उनकी भागीदारी के आधार पर किया गया | छात्रों के लिए सिनेपोलिस में पुरे ऑडीटोरियम को बुक किया गया था | छात्रों के दल का नेतृत्व सिमेज समूह के निदेशक प्रो. नीरज अग्रवाल, मेघा अग्रवाल तथा डीन प्रो. नीरज पोद्दार ने किया | 

इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए सिमेज के निदेशक प्रो. नीरज अग्रवाल ने बताया कि ‘सिमेज लोगों तक सन्देश पहुँचाने का सशक्त माध्यम है और आज की मूवी का चयन इसी वजह से किया गया है | फ़िल्म ‘चंदू चैंपियन’ के माध्यम से छात्रों को जीवन में एक लक्ष्य बनाने का सन्देश दिया गया और लक्ष्य बनाने के बाद, उसे सफल बनाने के लिए, तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद जीवन में जोश और जूनून बनाये रखने का सन्देश भी दिया गया | ज्ञात हो कि फ़िल्म 'चंदू चैंपियनभारत के पहले पैरालिंपिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत पेटकर की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित है । जिन्होंने बचपन में ही एक पहलवान की विजयगाथा से प्रभावित होकर ओलम्पिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने का सपना देखा था और जीवन में आये तमाम बाधाओं के बावजूद भी अपने सपने को साकार किया | उनके ‘जीतने का जज्बे’ और तमाम बाधाओं के बावजूद भी ‘अपने सपने को पूरा करने की कहानी’ बहुत प्रेरणादायक है |

फ़िल्म के समापन के पश्चात ऑडीटोरियम में ही एक विशेष सेशन आयोजित कर, केस स्टडी के माध्यम से इस इसे डिसकस किया गया और विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई, जिसके माध्यम से कई नई चीज़ें निकल कर आईं  | महाराष्ट्र के सांगली के एक बच्चेमुरलीकांत पेटकर का एक ही सपना था - ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना | मगर उसे जान बचाने के लिए अपना गांव छोड़कर जाना पड़ता है, पहलवानी छोड़कर बॉक्सर बनना पड़ता है, 1965 के युद्ध में गोलियां लगती हैं, एक गोली बॉडी से कभी निकल नहीं पाती - वह चल-फिर नहीं सकता है - परिवार ने घर ले जाने से मना कर दिया - मगर सपना अभी भी वही है - ओलंपिक में मेडल जीतना है, और उसने जीतकर ही दम लिया | जीवन में असाधारण सफलता पाने के लिए ऐसे ही मजबूत संकल्प की जरुरत पड़ती है | फ़िल्म के दौरान छात्रों के लिए कोल्डड्रिंक तथा पोपकोर्न की भी व्यवस्था की गई थी, जिसका छात्रों ने भरपूर लुत्फ़ उठाया |  

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